निर्जला एकादशी: कथा, महात्म्य और श्रेष्ठता
निर्जला एकादशी कथा महात्म्य - साल की सभी चौबीस एकादशियों में से निर्जला एकादशी सबसे अधिक महत्वपूर्ण एकादशी है। बिना पानी के व्रत को निर्जला व्रत कहते हैं और निर्जला एकादशी का उपवास किसी भी प्रकार के भोजन और पानी के बिना किया जाता है। उपवास के कठोर नियमों के कारण सभी एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन होता है। निर्जला एकादशी व्रत को करते समय श्रद्धालु लोग भोजन ही नहीं बल्कि पानी भी ग्रहण नहीं करते हैं। जो श्रद्धालु साल की सभी चौबीस एकादशियों का उपवास करने में सक्षम नहीं है उन्हें केवल निर्जला एकादशी उपवास करना चाहिए क्योंकि निर्जला एकादशी उपवास करने से दूसरी सभी एकादशियों का लाभ मिल जाता हैं। निर्जला एकादशी का व्रत अत्यन्त संयम साध्य है। इस युग में यह व्रत सम्पूर्ण सुख़ भोग और अन्त में मोक्ष कहा गया है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। अंग्रेजी माह के अनुसार इस वर्ष 2023 में यह व्रत 31 मई को बुधवार के दिन रखा जाएगा। निर्जला एकादशी व्रत कथा - युधिष्ठिर ने कहा: जनार्दन! ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी पड़ती हो, कृपया